ऐसे भी न तुम चला करो
हरी सा मृदुल भी बना करो
कहे देता हूँ आज तुमसे
पागल मत बना करो
तुम्हारे मात्र कह देने से
विध्वंष नहीं आ जायेगा
हो तुम साधारण पुरुष
इसलिए गिरिधर न बना करो||
तू कहता है जग जीता है तू
पर कहा अहम जीता है तू?
यूँ वजह बेवजह न गरजा करो
थोडा प्रकति में भी ढ़ला करो
पापों से तेरे कंही शिव न आ जाये
उस पल से तो तुम डरा करो
जाओ अहंकार जलाओ अपना
त्याग तपोबल से श्रृंगार करो
मत भूलो तुम गौरीशंकर को
इस युग के राम का इंतजार करो,
पीड़ा जो पनप रही है तुमसे
उसको बहने का रास्ता साफ़ करो
कहे देता हूँ आज तुमसे !
तुम भी मत अपना गुणगान करो
डमरू की न केवल ध्वनि सुनो
उनके तांडव को भी सुना करो ... ||
- Ravendra Kumar
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